Farmer condition in india
नमस्कार दोस्तों ,
आप पढ़ रहे हे "my agriculture" blogs
ज्यादातर किसानों की हालत भयानक है। भारत में लगभग 80% किसान सीमांत (1 हेक्टेयर से कम) या छोटे किसान (1–2 हेक्टेयर) श्रेणी के हैं। कृषि लगभग 60% रोजगार का समर्थन करती है लेकिन सकल घरेलू उत्पाद में केवल 17% का योगदान करती है। हर दिन, देश के विभिन्न हिस्सों से भारतीय किसानों की आत्महत्या की खबरें आती हैं
क्यों होता है ये सब कभी किसी ने सोचा है ? या कभी जानने की कोशिश करी हे ।
एक आखो देखा हाल सुनाना चाहुगा आप सबको " एक दिन किसी काम से में स्थानीय bank गया था वहाँ अच्छी खासी लंबी लाइन लगी हुई थी तो में भी अपनी लाइन में जाकर खड़ा हो गया तब वह एक बुजुर्ग आये उन्हें पैसे निकलवाने थे तो वो उस कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतेजार करने लगे , करीब 40 min बाद उनका नंबर आया वहा बैठे cashier ने उनसे पूछा बाबा क्या चाहिए तो वो बोले " पैसे" कहा कितने ? जवाब दिया 2000 । तो उसने मना कर दिया की ई-मित्र से लेलो
उन बुजुर्ग ने बहोत कहा लेकिन साहब नही माने आखिर में निराश होकर लोट गये वो ! और मेरी तरह वहा मौजूद हर कोई इस वाकये को देख कर अपने अपने काम में लग गये" ।
बस यही वजह बनती है किसानों के आत्महत्या के लिए क्योंकि अनपढ़ किसान जब bank आते है loan लेने तो उनसे ये लाओ वो कागज लाओ , जमीन की रजिस्ट्री लाओ , पटवारी के sign , तहसीलदार के sign और भी बहोत कुछ जिस से परेसान होकर किसान फिर साहूकारों से रुपये उधार लेते है जिसका मूल और असल इतना ज्यादा होता है कि वो कभी उसे चूका नही पाते है और फिर क़र्ज़ के बोझ में उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ता है ।
किसकी गलती माने इसे ? System की या आम जनता की , या उस किसान की जिसने bank से loan नही लिया ?
आजादी के 70 वर्ष के बाद भी किसान लाचार है
ReplyDeleteदेश को पालने वाले इस पालनहार की ये हालात के जिम्मेदार आज का सिस्टम है ।
देश मे अमीरों के लिये सरकार हर सुविधा उपलब्ध करवाती है लेकिन आज भी हमारे देश का किसान इन सब से वंचित है।
बहुत ही अच्छा लिखा है आप का ये प्रयास अवश्य रंग लाएगा किसान हितों में
आभार बड़े भैया 🙏 keep supporting and follow my blogs for more
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